गुरुवार, 19 नवंबर 2009

क्या आप इतनी निष्ठुर हैं? परिस्थितियों ने आपको इतना भावनाषून्य बना दिया है कि आपकी नजरों में दूसरों की संवेदनाएं भी महत्वहीन हो जाती है । क्या यूं ही आप मुझे अधूरा जीवन जीने को विवष कर देंगी, यह जानते हुये भी कि मेरे जीवन में आप सर्वप्रथम हैं । आपने मुझे जिस जीवन को फिर से उत्साह के साथ जीने को अपना प्यार देकर उपहारस्वरूप दिया उसे अधूरा उसी मोड़ पर छोड़ कर चली जायेंगी ।


कहीं तो आपकी संवेदनहीनता का अंत होता होगा ना ?

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