दीपक की जलती बाती की गहराईयो मे,
झांककर तो कभी नही देखा.
पर मुझे यकीन है,
उनमे तुम्हारी तरह जज्बा जरूर होगा.
वरना कोई खुद जलकर,जहां को इस तरह रोशन नही किया करता.
शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2009
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मेरा यह ब्लाग उस महामानव को समर्पित है, जिसने गद्य लेखन के क्षेत्र मे मुझे दिशा दी, मेरा पथप्रदर्शन किया,उसके उन्चे कद और विशाल व्यक्तित्व को नमन करते हुये मै इस ब्लोग पर सिर्फ उनके लिये कुछ लिखा करता हू, शायद ऐसा कर उनका कर्ज चुका पाऊ. वह स्वयम सरस्वती पुत्री के रूप मे शब्दो की भण्डार है,वह आज भी मेरी पूजा है, मेरे लिये किसी दैवीय शक्ति की तरह सर्वशक्तिमान ।
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